कोच्चि
कोचीन या कोच्चि केरल प्रान्त का एक तटीय शहर है। कोच्चि भारत
का एक प्रमुख पत्तन है। इसे अरब सागर की राणी माना जाता हैं । केरल की सबसे बडी शहर
ओर वाणिज्य की केन्द्र हैं।केरल के तटवर्ती शहर कोच्चि को अरब सागर की रानी कहा जाता
है। केरल का यह शहर औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों का केन्द्र है। कोच्चि में पुर्तगाली, यहूदी, ब्रिटिश, फ्रेंच, डच और चाइनीज संस्कृति का मिला जुला रूप
देखने को मिलता है। पुर्तगालियों के आगमन से पूर्व कोच्चि का इतिहास स्पष्ट नहीं है।
पुर्तगालियों का आना कोच्चि के इतिहास में अहम पड़ाव साबित हुआ।
कोच्चि के राजाओं ने इन विदेशियों का स्वागत किया क्योंकि उन्हें कालीकट के जमोरिन
की शत्रुता के कारण एक शक्तिशाली सहयोगी की तलाश थी। यहूदियों ने भी केशव राम वर्मा
के शासनकाल में राजकीय संरक्षण प्राप्त किया। ये यहूदी मूल रूप से कोदनगलूर से व्यापार
के उद्देश्य से आए थे। 17वीं शताब्दी
में कोच्चि का बंदरगाह डच के अधीन हो गया था। आगे चलकर 1795 में कोच्चि पर अंग्रेजों ने अधिकार जमा
लिया था जो भारत के आजादी के साथ ही मुक्त हुआ।
यह महल मूल रूप से पुर्तगालियों द्वारा बनवाया गया और कोचीन
के राजा वीर केरला वर्मा को भेंट किया गया था। [LOWER – 203] बाद में
डच का इस पर अधिकार हो गया। उन्होंने 1663 में किले
की मरम्मत कराई और किले को नया रूप दिया। इस किले में कोचीन के कई राजाओं का राज्याभिषेक
हुआ था। इस किले में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों से संबंधित पेंटिंग्स बनी
हुई है। इस महल को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां
आते हैं। डच लोगों द्वारा बनवाया गया यह महल बोलघट्टी द्वीप पर स्थित है। इस महल को
अब एक लक्जरी होटल में तब्दील कर दिया गया है। बोलघट्टी में एक गोल्फ कोर्स भी है।
यहां पर लोग पिकनिक मनाने भी आते है। 19वीं शताब्दी
में कोच्चि के राजा द्वारा यह महल बनवाया गया था। अब इसे केरला पुरातत्व विभाग के संग्रहालय
में परिवर्तित कर दिया गया है। संग्रहालय में चित्रकारी, नक्काशी
और राजकीय वंश से संबंधित वस्तुओं को रखा गया हैं। इन्डो-युरोपियन
शैली में बना यह बंगला 1667 ई. में बनवाया गया था। [HIGHER – 354] डच किले
के स्ट्रोमबर्ग बेशन में स्थित होने के कारण इसका नाम बेशन बंगला पड़ा। इसकी छत में
टाइलें लगी हुईं हैं और बरांमदा लकड़ी का बना हुआ है।
No comments:
Post a Comment