तृश्शूर जिला
त्रिश्शूर भारतीय राज्य केरल का एक जिला है । त्रिसूर केरल का केंद्रीय जिला है।
यह जिला केरल की सांस्कृतिक राजधानी कहलाता है। त्रिसूर उत्तर में पलक्कड़ से,
पूर्व में पलक्कड़
और कोयंबटूर से, दक्षिण में एर्नाकुलम और इदुकी जिलों से तथा पश्चिम में अरब सागर से जुड़ा हुआ
है। त्रिसूर का नाम मलयालम शब्द त्रिस्सिवपेरुर से निकला है जिसका अर्थ होता है शिव
का पवित्र घर। प्राचीन काल में इसे वृषभद्रीपुरम और तेन कैलाशम कहा जाता था। त्रिसूर
जिले ने दक्षिण भारत के राजनैतिक इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इस जिले
का प्रारंभिक राजनैतिक इतिहास संगम काल के चेर वंश से जुड़ा हुआ है जिन्होंने केरल
के बड़े हिस्से पर शासन किया था।
भगवान श्री कृष्ण को समर्पित गुरुवायूरप्पन मंदिर दक्षिण भारत का अनोख तीर्थस्थल
है। गुरुवायूर में स्थित यह मंदिर दक्षिण का द्वारका कहलाता है। मंदिर में स्थापित
भगवान की मुद्रा वैकुंठधाम के समकक्ष है और इसलिए इस मंदिर को भूलोक वैकुंठ कहा जाता
है। कहा जाता है कि यहां प्रतिमा की स्थापना गुरु बृहस्पति और वायु देव ने की थी इसलिए
इस स्थान का नाम गुरुवायुपुर पड़ा जो बाद में गुरुवायूर कहलाया। यहां भगवान को गुरुवायुरप्पन
कहा आता है जिसका अर्थ है गुरुवायूर का देवता। देवी दुर्गा, भगवान गणेश और भगवान अय्यप्पा के
मंदिर भी इस मंदिर परिसर का हिस्सा हैं। [LOWER – 215] यहां एक पवित्र सरोवर है जिसे रुद्रतीर्थ
कहा जाता है।
त्रिसूर के वदक्कुनाथन मंदिर का निर्माण केरल शैली में किया गया है। यहां पर भगवान
शिव, देवी पार्वती, शंकरनारायण, भगवान गणेश, भगवान राम और भगवान श्रीकृष्ण
की अराधना की जाती है। मुख्य मंदिर में और कूथंबलम में लकड़ी पर की गई खूबसूरत नक्काशी
देखी जा सकती है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान विष्णु के अवतार परशुराम
ने की थी। हर साल अप्रैल और मई के दौरान मंदिर परिसर में त्रिसूर पूरम का आयोजन किया
जाता है। हजारों लोग इस कार्यक्रम को देखने के लिए एकत्रित होते हैं।
वर्तमान त्रिसूर जिले का संपूर्ण भाग चेरा साम्राज्य का हिस्सा था। त्रिसूर की
सांस्कृतिक परंपराएं काफी पुरानी हैं। प्राचीन का से ही यह अध्ययन और संस्कृति का केंद्र
रहा है।
[HIGHER – 346] केरल का सबसे रंगबिरंगा मंदिर उत्सव त्रिसूर पूरम राज्य और राज्य के बाहर के लाखों
श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां के चर्च, मंदिर, समुद्री तट आदि सभी कुछ पर्यटकों
को लुभाते हैं। इसे देखते हुए यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं देखी जा रही हैं। [393]
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